google-site-verification=GIaeBD26iM1El1_Rs0O2-yeM0Lzle6sVyMjx02rEXhc " स्वस्थ रहने के सूत्र "

नमस्ते! मैं [R.k.yऔर "स्वस्थ रहने के सूत्र" के माध्यम से मैं हेल्थ टिप्स, घरेलू नुस्खे, योग और संतुलित जीवनशैली से जुड़ी सरल और उपयोगी जानकारी साझा करता/करती हूँ। मेरा उद्देश्य है — हर किसी को स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा देना।

Thursday, June 12, 2025

⭐ सेहत बनाती हैं सूरज की किरणें ⭐

❤️‍🔥सर्दियों में आनन्द लें गुनगुनी धूप का
सुबह की गुनगुनी धूप भला किसे नहीं सुहाती, लेकिन ये धूप सर्दियों में ही भाती है अन्य मौसम में नहीं। अगर हर मौसम में कुछ देर धूप की सिंकाई ली जाए तो सेहत की दृष्टि से लाभदायक होता हैl

 ❤️‍🔥सुबह खुले बदन 20 मिनट तक सूर्य किरणों में बैठकर हर ऋतु में स्वास्थ्य लाभ उठाया जा सकता है, जाड़े की ऋतु में सूर्य किरणें कुछ ज्यादा ही तन-मन को
 आनंदित करती हैं अत: इस मौसम का लाभ लेने से न चूकें।

वैज्ञानिक तथ्य

❤️‍🔥भारतीय धर्म-दर्शन अनगिनत सदियों से सूर्य को जीवनदाता मानता आया है, किंतु अब वैज्ञानिक भी सूर्य की विलक्षण रोग-निवारक शक्तियों का लोहा मानने लगे हैं। ब्रिटिश वैज्ञानिक डॉ. डब्ल्यू.एम. फ्रेजर ने अपनी पुस्तक 'टेक्स्ट बुक ऑफ पब्लिक हेल्थ' में लिखा है कि सूर्य की किरणों में जीवाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति है।

❤️‍🔥सूर्य किरणों में विटामिन-डी पाया जाता है, जो मानव शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है। इसी तरह फ्रांस के हृदय रोग विशेषज्ञ मार्सेल पोगोलो का तो यहाँ तक मानना था कि सूर्य और मानव हृदय का अटूट संबंध है।

❤️‍🔥 उनके अनुसार सौर-मंडल में तूफानों के आने के पहले पड़ने वाले दिल के दौरों की संख्या में तूफानों के आने के बाद चार गुना ज्यादा इजाफा हो जाता है।

❤️‍🔥रोगों में फायदेमंद

🍁अमेरिकी डॉक्टर हानेश का मानना है कि शरीर में लौहतत्व की कमी, चर्मरोग, स्नायविक दुर्बलता, कमजोरी, थकान, कैंसर, तपेदिक और मांसपेशियों की रुग्णता का इलाज सूर्य किरणों के समुचित प्रयोग से किया जा सकता है, वहीं डॉ. चार्ल्स एफ. हैनेन और एडवर्ड सोनी ने अपनी रिसर्च से यह सिद्ध कर दिखाया है कि सूर्य किरणें बाहरी त्वचा पर ही अपना प्रभाव नहीं डालतीं, बल्कि वे शरीर के अंदरूनी अंगों में जाकर उन्हें स्वस्थ बनाने में कारगर भूमिका निभाती हैं।

❤️‍🔥सुझाव
पसीना आने के बाद धूप में नहीं बैठना चाहिए।
दोपहर बाद सूर्य किरणों में बैठने का उतना महत्व नहीं है।

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Sunday, June 8, 2025

⭐💖खून में शुगर स्तर को कम करने में मदद करता हैं 💖⭐

☑️जीरा न सिर्फ भोजन के स्वाद को बेजोड़ बनाता है बल्कि कई बीमारियों में भी बहुत लाभदायक होता है। डायबिटीक लोगों के लिए जीरा अत्यंत लाभकारी है। यह खून में शुगर स्तर को कम करने में मदद करता है। जीरे में आयरन भरपूर मात्रा में होता है जिससे यह खून की कमी यानी एनीमिया को दुरुस्त करता है और रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है। यह शरीर में ऑक्सीजन का सभी हिस्सों में पहुंचना सुचारु करता है। दमे के मरीजों को इसके भरपूर लाभ मिलते हैं। इसमें थायमोक़्यीनॉन नामक एक खास तत्व होता है जो दमे को रोकने बहुत कारगर है।

☑️भारतीय पाक कला में मसालों के इस्तेमाल का अलग ही महत्व है। मसाले न सिर्फ स्वाद बढ़ाने का काम करते हैं बल्कि ये स्वास्थ्य के लिए भी बेजोड़ होते हैं। हमारे खाने में कई पकवान तो इन मसालों के नाम पर ही जाने जाते हैं जैसे ज्यादातर पसंद किया जाने वाला जीरा राइस। सही समझे आप, जीरे में कई तरह के गुण छुपे हुए हैं जिनसे आपकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं। जीरा काला, सफेद और मटमैले रंग में उपलब्ध होता है।

☑️जीरे के स्वास्थ्य संबंधी अनुपम गुण इसे न केवल भारतीय खाने का अहम हिस्सा बनाते हैं बल्कि पुराने समय में यह रोमन, ग्रीक और मिस्र संस्कृति का भी खास हिस्सा था। इतना खास कि यह करंसी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। जीरा शरीर के सभी अंगों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है और इसके उपयोग से विभिन्न प्रकार के लाभ होते हैं।

☑️हमारे शरीर में विभिन्न कारणों से गंदगी आ जाते हैं जिन्हें शरीर पसीने और फुंसियों के रूप में बाहर निकालता है। जीरे का नियमित इस्तेमाल शरीर की शोधन करने की प्रक्रिया को तेज करता है और गंदगी मुंहासों और फुंसियों के तौर पर बाहर नहीं आती। आपकी त्वचा साफ और सुंदर बनी रहती है।

☑️जीरे में विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है जिससे यह त्वचा को स्वस्थ रखने में बहुत कारगर होता है। इसमें प्राकृतिक तेल होने के साथ साथ एंटी फंगल गुण होते हैं जिनसे त्वचा इंफेक्शन से बची रहती है। इसमें त्वचा संबंधी बीमारियों जैसे एग्ज़िमा और सोराइसिस को ठीक करने के गुण होते हैं। जीरा पाउडर को आप अपने फेसपैक में भी मिला सकते हैं। इसमें पाया जाने वाला विटामिन ई त्वचा पर होने वाले उम्र के असर को कम करता है।

☑️अगर आपको हथलियों में कुछ गर्मी महसूस हो रही हो तो जीरे को पानी में उबालकर ठंडा करके प्यास लगने पर पी लीजिए। अगर आप हर बार गुनगुना जीरा पानी पी सकें तो फायदा दुगुनी तेजी से होगा। जीरे के उपयोग से बना फेसपैक बहुत फायदेमंद होता है। इसे हल्दी के साथ मिक्स करके बनाया जाता है।

 ☑️जीरा पावडर और हल्दी को शहद के साथ इस्तेमाल करना चाहिए। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर सूखने तक रखना होता है। इससे त्वचा नर्म और उजली बनती है। जीरे के उपयोग से रूसी से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इसे आप अपने तेल में थोड़ा गर्म करके इस गुनगुने तेल से सिर पर मसाज कीजिए और रूसी से छुटकारा पा लीजिए।

Monday, June 2, 2025

💮जुकाम में रोज खाएं , बुखार में नहीं 💮

❤️एक कहावत है, 'फीड ए कोल्ड, स्टार्व ए फीवर।' यानी जुकाम के समय खूब खाओ और बुखार के समय भूखे रहो। लगता है इस कहावत में कुछ दम है। भरपेट खाने और भूखे रहने के असर शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र पर एकदम अलग-अलग होते हैं। वैसे डॉक्टर उक्त कहावत को ज्यादा महत्व नहीं देते।

❤️एम्सटर्डम के एकेडमिक मेडिकल सेंटर में किए गए अनुसंधान से कुछ रोचक परिणाम प्राप्त हुए हैं। पता चला है कि भरपेट भोजन करने से प्रतिरक्षा तंत्र का एक पक्ष प्रेरित होता है। यह जुकाम पैदा करने वाले वायरसों का सफाया करता है, जबकि भूखे रहने से प्रतिरक्षा तंत्र का वह पक्ष सक्रिय होता है, जो बुखार के लिए उत्तरदायी बैक्टीरिया का सामना करता है।

❤️सेंटर के वैज्ञानिक गिस वान डेन ब्रिन्क और उनके साथियों ने एक क्रिसमस दावत के दौरान अतिथियों के रक्त के नमूने प्राप्त किए। वे देखना चाहते थे कि क्या प्रतिरक्षा तंत्र पर अल्कोहल का कोई असर होता है?

❤️पता चला कि अल्कोहल का तो कोई असर नहीं होता, लेकिन भोजन का असर अवश्य होता है। यह देखकर वैज्ञानिकों ने छह लोगों से अनुरोध किया कि वे एक रात भूखे रहें और फिर अगले दिन सुबह प्रयोगशाला में आएँ। इन्हीं लोगों को एक बार तरल भोजन देकर भी परीक्षण किए गए।

❤️देखने में आया कि तरल भोजन के लगभग 6 घंटे बाद उनके खून में गामा इंटरफेरॉन की मात्रा सामान्य से चौगुनी हो गई थी। गामा इंटरफेरॉन उन तमाम कोशिकाओं को नष्ट करती है, जिसमें कोई विषाणु (वायरस) घुस चुका हो। यह प्रतिरक्षा मूलतः वायरसों के विरुद्ध काम करती है। लगता है कि भरपेट भोजन इसे बढ़ावा देता है।

❤️दूसरी ओर, जब इन्हें सिर्फ पानी पिलाया गया तो उनमें इंटरफेरॉन की मात्रा में तो थोड़ी सी कमी आई मगर एक अन्य रासायनिक संदेशवाहक इंटरल्यूकीन-4 की मात्रा चौगुनी हो गई।

❤️इंटरल्यूकीन-4 हमारी कोशिकाओं के बाहर मंडराते रोगजनक तत्वों पर हमला करता है। बैक्टीरिया आमतौर पर यही करते हैं, कोशिकाओं के बाहर टहलते रहते हैं। इनमें से कई बैक्टीरिया बुखार के कारक हैं।

❤️वैसे ब्रिन्क ने चेतावनी दी कि यह एक बहुत छोटा सा अध्ययन है। लोगों को इसके आधार पर अपने तौर-तरीके बदलने की उतावली नहीं करनी चाहिए।

❤️वैसे एक अन्य अध्ययन ने भी इस निष्कर्ष की पुष्टि की है। एम्सटर्डम के ही फ्री यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में किए गए इस अध्ययन में पता चला है कि ग्लूटैमीन नामक एक अमीनो अम्ल भी इंटरफेरॉन जैसी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देता है।

❤️दूध व कुछ काष्ठ फलों में यह अमीनो अम्ल भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ऐसा पाया गया है कि ग्लूटैमीन की पूरक खुराक दी जाए तो मरीज संक्रमणों से बचे रहते हैं। इससे लगता है कि मरीज को दिया वाला भोजन भी महत्व रखता है।

खाली सीपी

खाली सीपी अगर यहाँ बैठो तुम खाली सीपी बनकर जो आने दे अंदर आती साँस को ताकि वो सृजन की प्राणदायी महक से पखार दे तुम्हारे अंतस को और निकाल दे ...