अगर यहाँ बैठो तुम खाली सीपी बनकर
जो आने दे अंदर आती साँस को
ताकि वो सृजन की प्राणदायी महक से
पखार दे तुम्हारे अंतस को
और निकाल दे भीतर की उन चीज़ों को
जो करती हैं पोषण दूसरे जीवों का
जो पलते हैं तुम्हारे अपशिष्ट पर
इस खालीपन में ही निहित हैं
तुम्हारी समस्त संभावनाएं,
और फिर गूंज उठेगी ये खाली सीपी
उस अनसुने जादुई संगीत से।
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